शनिवार, 19 सितंबर 2009

दिल से उठता....

दिल से उठता धुआं सा लगता है,


कोई तो है जो परेशां लगता है,


आपको हमसे मोहब्बत न रही,


एक बिगड़ा बयान लगता है,


हमको देखा तो बस इतना कहा,


कोई उजड़ा मकान लगता है,


इस कदर दिल में छाये मेरे हैं,


जैसे कोई यहाँ सा लगता है !


....बृज भाटिया

शनिवार, 8 अगस्त 2009

जाते जाते ....


जाते जाते ये क्या दिया मुझको,



गम का कैसा सिला दिया मुझको,



मै खुशी खोजता था दुनिया में,




प्यार में क्यों रूला दिया मुझको.