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जाते जाते ..
शनिवार, 8 अगस्त 2009
जाते जाते ....
जाते
जाते ये क्या दिया मुझको,
गम
का कैसा सिला दिया मुझको,
मै खुशी खोजता था दुनिया में,
प्यार में क्यों रूला दिया मुझको.
1 टिप्पणी:
संजय भास्कर
27 सितंबर 2009 को 2:48 am बजे
आपका हिन्दी चिट्ठाजगत में हार्दिक स्वागत है। सुन्दर भावाभिव्यक्ति।
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